Thursday, December 27, 2012

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat

पिंगली फ्योली डांड्यों मा खिलदी।
माया मा आंखी सब कुछ बोलदी।
मिल त जान्दन मायादार कई यख,
गल्वाड़ी मा तिल मुश्किल से मिलदी।

©2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी (उत्तराखंड)

Saturday, December 22, 2012

नौकरी का बाना

घर गौं मुल्क छोड्यों च,
ईं पापी नौकरी का बाना।
छौं दूर परदेश मा मी हे,
निर्भे द्वी रुप्यों का बाना।

मेरी सुवा घार छोड़ी च,
ब्वे बुबों से मुख मोढ्यों च।
ईं गरीबी का बाना कनु,
अपड़ो से नातू तोड्यों च।

दिन रात ड्यूटी कनु छु,
तब त द्वी रोटी खाणु छु।
जनि तनि कुछ बचायी की,
घार वलु कु मी भेजणु छु।

ऐ जांद जब क्वी रंत रैबार,
चिठ्ठी का कत्तर मा प्यार।
द्वी बूंद आंसू का आंख्युं मा,
ऐ जन्दिन तब हे म्यार।

हे देवतों मी तुम्हारा सार।
यख रै की भी आस तुममा,
राजी ख़ुशी रख्यां गौं गुठ्यार,
आस पड़ोस अर मेरु घरबार।

कभी बार त्यौहार मा मी,
घार जांदू छुट्टी जब आंदी।
पर यूं द्वी चार दिनों मा,
खुद की तीस नि बुझी पांदी।

घर गौं मुल्क छोड्यों च,
ईं पापी नौकरी का बाना।
छौं दूर परदेश मा मी हे,
निर्भे द्वी रुप्यों का बाना।

मेरी कविता संग्रह "मेरु मुल्क मेरु पराण" बिटि।
©22-12-2012 अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Friday, December 21, 2012

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat

आजकल वा खूब दूर-2 जाणी चा।
झणी किले वा बांद मैसे रुसायीं चा।
नि भी माणाली ता क्वी बात निचा।
मेरी एक हैंकि बांद भी खुज्यायी चा।

©2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल (उत्तराखंड)

Tuesday, December 11, 2012

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat

तेरी छुंयाल आंखी छन मैं सनकाणी।
अपड़ी माया मा छन मैं थे अल्जाणी।
ओंटिडी तेरी प्रीत का गीत छन गाणी।
उनि छै तू हे सुवा मिजाज की स्वाणी।

©2012 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, (उत्तराखंड)