Tuesday, August 14, 2012

१५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवस

१५ अगस्त, स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
थाम तिरंगा हाथ में, आओ मिलकर जश्न मनाएं ।।
दे सलामी तिरंगे को, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत हम गाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

याद करें उन अमर जवानों, शहीदों को आज हम,
जो इस भारत देश की खातिर मर मिट गए ।
दी प्राणों की आहुति, देश के सुगम भविष्य के लिए,
जो लौटकर न आये और अमर जगत में हो गए ।
वीरों का गुणगान करें, देशभक्ति के हम गीत गाएं ।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

सीमा पर सीना ताने हैं खड़े, प्रहरी सेना के जवान,
खेत खलियानों में मेहनत करते देश के किसान।
सम्पूर्ण भारतवर्ष से दूर करेंगे हम अब अज्ञान,
हर किसी को शिक्षा मिले शुरू करें ये अभियान ।
चलो जवानों का, किसानों का हम हौंसला बढ़ाएं ।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

कृषि, कला, विज्ञान, वाणिज्य में आगे बढ़ेंगे,
करें जतन कुछ ऐसा विश्व में परचम फहराएंगे।
तन मन धन से इस देश की हम सेवा करेंगे,
भारतीय संस्कृति को सम्पूर्ण विश्व में फैलायेंगे।
विश्व पटल पर "भारत" नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

जांति-पांति, धर्म का भेदभाव छोड़ कर आगे बढ़ें,
कोई छोटा, न कोई बड़ा, एक दूजे के गले मिलें।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हम सब हैं भाई-भाई,
इस देश की खातिर कन्धा से कन्धा मिलाकर चलें।
भाईचारा है भारत की ताकत सम्पूर्ण विश्व को दिखलाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

अमर शहीदों को रावत अनूप का शत-शत नमन,
शपथ लें देश से भ्रष्टाचार, आतंकवाद का करेंगे दमन।
एक कुटुम है भारत प्यारा, फैलाएं देश में चैन अमन,
खिलें खुशियों से हर चेहरा, मुस्कुराएं सारा चमन।
बाँटें खुशियाँ आज हम और चादर प्रेम की बिछाएं।
आओ मिलकर आज हम जगह -२ तिरंगा फहराएं ।।

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक: १४-०८-२०१२

Monday, August 13, 2012

जोगी एक देखि मैन

जानू छाई सफ़र मा बैठी कि ट्रेन मा,
ज्वान सी जोगी एक देखि मैन हाँ ।।

पूछी मिन वैसे किले रे त्वेन,
सन्यांस जवानी मा ल्याई त्वेन,
घर गृहस्थी से मन मुड़ी ग्यायी,
इले ही सन्यांस ल्याई रे मैन ।।

घर बार, मोह माया छोड़ी की हे,
बस प्रभु थै अब पाण चाहन्दु,
ज्ञान की कुटरी भ्वरणु चाहन्दु,
प्रेम रुपी प्रकाश फैलाणु चाहन्दु ।।

लड़े झगुडू से कखी दूर छु जाणू,
ज्यू जंजाल सब छोड़ी की जाणू,
यु तेरु यु मेरु कु लोभ छोड़ी की,
प्रभु की शरण मा छौं मी जाणू ।।

मिन बोली ठीक च दिदा यु भी,
समाज थै सदानी ज्ञान दीन्दा रयां,
भटकुला जब बाटु हम लोग हे,
सुबाटू हमथें सदानी दिखान्दा रयां ।।

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक: १३-०८-२०१२

Monday, August 6, 2012

बरखा लगी च कुमौ - गढ़वाल

रूम झुमा आई फिर बसग्याल
बरखा लगी च कुमौ - गढ़वाल

रुणझुण बरखा सौण भादो कु मैना
बरखा मा देखा सभी रुझी गैना

कखी लगी च जरा, कखी भारी
भीजी गेनी सरया छज्जा तिबारी

सारयूं मा काम काज उनी लग्यूं
डांडी कांठ्यों भारी कुयेडू च लग्यूं

आई बरखा त हरियाली बढिगे
गौं गुठ्यार मा फिर बहार ऐगे

कखी आई बिंजा त ब्वगणी हुई
कखी उजाड़ बिजाड खूब च हुई

बिधाता होई नाराज त बाढ़ आई
कैकी कुड़ी पुंगुड़ी कैकी जान गाई

हे सरगा रुण झुण बरखंदु रैयी
हे कखी उजाड़ बिजाड न कैयी

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक - ०६-०८-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)