Friday, April 20, 2012

कर परिवर्तन आज

कर परिवर्तन आज समय बदल दे
चल आज जीवन का रूख बदल दे

नाम बदलना तू नीयत नही
काम बदलना तू जीरत नही

चल बढ़ा कदम अब मत ठहर
हो परिवर्तन तू कुछ कर गुजर

अंधविश्वास तू करना छोड़ दे
आडम्बरो को हे अब तू तोड़ दे

मत उलझ हे तू जाति धर्म में
ध्यान दे बस तू अब सुकर्म में

ना दौड़ हे तू ऐसे रुपये के पीछे
आ चल मिलकर प्रेम के पेड़ सींचे

ना किसी की बातों में तू बहकना
जो दिल में तेरे बस कर गुजरना

कविता जारी है..........

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२०-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Wednesday, April 18, 2012

गढ़वाली शायरी By: Anoop Rawat

हे मेरी दगिड्या तू मैं छोड़ी कख गैयी
बोल्यां वचन प्रेम का तोड़ी की कख गैयी
कैल भरमाई त्वेथे हे मेरी दगिड्या
माया वैरी दुनिया का ब्वल्या मा न ऐयी
सच्चू छौं मै तेरु माया कु हक़दार हे
बैठ्यों छौं जग्वाल झठ बौडी की ऐयी...

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत

Tuesday, April 17, 2012

बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे

बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे

चला दगिड्यो कौथिग जयोंला
थोला मेलु मा खूब मौज उडोंला

हे कनि भली रंगत आयीं होली
प्यार भरी भेंट की भी रीत होली

दाना स्याणा ज्वान बैख आला
कौथिग मा सभ्या रंगी जाला

सजी धजी की बांद होली आणी
देखि औंला तौंकी मुखुड़ी स्वाणी

ताती - २ जलेबी पकोड़ी खौंला
बनी-२ का सौदा तब मुल्योंला

कौथिग मा चरखी मा बैठी जौंला
खूब मौज आज गैल्या करि औंला

थड्या चौफला छोपती हम लगोंला
बांदो का लस्का ढस्का देखि औंला

होलू घाम अगर बैठी जौंला छैलु
नि जैलू त बाद मा पछ्ताणु रैलु

बैशाख कु मैना बौडी फिर ऐगे
कौथिग उरेणा कु बगत फिर ह्वेगे

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१७-०४-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Thursday, April 12, 2012

आजा बैठ मेरी गाड़ी मा

आजा बैठ मेरी गाड़ी मा
त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु
कतगा प्यारी च रीत यख
चल त्वेथे हे मी दिखौलु

ऊँची निची छन डांडी कांठी
भली स्वाणी आयीं च बहार
घूमी ऐली मेरा गढ़-कुमाऊं
झट ह्वेजा हे तू गैल्या तैयार

सेलणी कु ठंडो-२ पाणी पेली
कोदा की रोटी चटनी खैली
छंछया भात झोली फाणु खैली
च्या मा भेली की कुटुकी लगेली

रुमुक दा लगलू रांसू मंड़ाण
थड्या चौफला खूब तब लगाण
ज्यूं भोरी नाचली तू मेरा गैल
औ दगिड्या खूब मौज उड़ाण

बाजूबंद लगाणी घास घसेनी
पाणी लेकी आंदी पाणी पनेरी
ग्वरेल होला डांड़यूं मा हे
मन लुभौन्या बांसुरी बजेनी

स्कुल्या छोरों की ठठा मजाक
सगोड्यों मा मचायीं च धाक
चोरी की काखड़ी मुंगुरी तू भी
ऐकि दगिड्या तू भी जा चाख

खूब लग्यां होला थोला मेला
तिमला पात मा जलेबी पकोड़ी
देवभूमि मा आयीं कनि रंगत
ऐजा दगिड्या तू भी रौडी दौड़ी

गाडी मा तेरा बाना हे दगिड्या
गढ़वाली कुमाउनी गीत लगौलु
मन भौन्या गीत त्वे सुणोलु
औ त्वे अपड़ा मुलुक घुमौलु

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश

Tuesday, April 10, 2012

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat


तीस्वालू होंदु पराण ता पाणी पेकि तीस चली जांदी
खुद लगदी जब कैकी ता घुट-२ बडुली लगी जांदी..
माया मा जब तक मायादार की मुखुड़ी नि दिखेंदी
तब तक कतई आंख्यों की तीस नि बुझी पांदी...

© 2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
Gween Malla, Bironkhal, Garhwal (UK)

Thursday, April 5, 2012

कैकी खुद होली आज सताणी


कैकी खुद होली आज सताणी
घुट-२ बाडुली गौला मा लगाणी

होली क्या ऊं बाटा घाटों की
कभी हिटुणु सीखू छौ जौंमा
होली क्या ऊं डांडी काठ्यूं की
जू छन मेरा मुलुक गौंमा

होली क्या वै स्कूल की जख
पाटी ब्वल्ख्या ली जांदा छाया
या होली मेरा वै स्कूल की
जख बिटि इंटर पास काया

होली क्या ऊं डांडों की जख
गोरुं का दगिडी जांदा छाया
कखड़ी मुंगरी खूब भकोरी छै
गैल्यों गैल जब जांदा छाया

होली क्या ऊं पुंगिड्यों की
जख कभी होळ छौ लगाई
या होली ऊं बणों की जख
लखुडू का बाना मी छौ जाई

होली क्या ऊं थाडों की जख
कभी थड्या चौंफला लगाई
ब्यो बरात्यों मा जख कभी
पंगत मा बैठी की खाणु खाई

कैकी खुद होली आज सताणी
घुट-२ बाडुली गौला मा लगाणी

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०५-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश

Monday, April 2, 2012

म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख


म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख
कनु प्यारु च मयारू मुलुक रे
मुलुक की प्यारी रीत ऐकि देख
कभी जरा यख बास रैकि देख

देशों मा कु देश मेरु गढ़ देशा
हरियाली छाई रैंदी यख हमेशा
कभी हैरा भैरा डांडा ऐकि देख

रंग बिरंगा छन फूल खिल्यां
देवभूमि मा मनखी छन बस्यां
डांडी कांठ्यूं मा कभी ऐकि देख

कुलें देवदार बांज बुरांश डाली
मेलु तिमला बेडू ऐकि खयाली
ठंडो मीठो पाणी कभी पेकि देख

थोला मेलू की स्वाणी आयीं बहार
ज्यूं भोरी की खतेणु प्यार उलार
ताती-२ जलेबी पकोड़ी खैकि देख

डाँडो ग्वरेल अर घास घस्यारी
रोल्युं जायीं होली पाणी पन्यारी
बांसुरी की भौण मा ख्वेकि देख

स्कुल्या छोरी छ्वारा छन कना जाणा
उकाल उंदार मा गरा बस्ता लिजाणा
ठठा मजाक उंकी जरा तू ऐकि देख

थाडों मा लग्युं च रे रांसू मंडाण
थड्या चौंफला छौंपती मा नचाण
बार त्योंहारों की रौनक ऐकि देख

घ्यू दूध की छरक यख हूंद भारी
कोदा रोटु धन्या की चटनी प्यारी
छंछ्या झोली फाणु कभी खैकि देख

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)