Saturday, November 24, 2012

हिंदी शायरी By Anoop Rawat

कलम हाथ में आकर बोली कुछ लिख दे।
फिर मैंने सोचा क्या लिखूं आज कुछ खास।
रंजिश लिखूं तो कुछ फायदा नहीं है।
फिर दिल ने कहा चल मुहब्बत लिख दे।।

©2012 अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"

कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ

!!! कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ !!!

आणि दे वीं ईं दुनिया मा,
जीणी दे वीं ईं दुनिया मा।।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

घर की लक्ष्मी च नौनी, वीं आणी दे।
देख हे, सूण हे, वींथे भी फर्ज निभाणी दे।
सबसे अगिन्या रैली सब थै देली मात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

एक ही जन्म मा वींका छन रूप अनेक।
सदानी बिटि करदी आणि व कर्म हे नेक।
दुनिया का उद्धार खातिर कारली एक दिन रात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

तीलू, रामी, गौरा ह्वेनी बड़ी-२ नारी।
जौन करी काम यनु दुनिया दे तारी।
छाया सभ्या यु भी रे मनखी नारी जात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

आज की दुनिया मा बेटी बेटा बराबर चा।
ध्यान से देख फर्क नीचा कुछ भी द्वियु मा।
टक्क लगे सुणी ले अनूप रावत कि या बात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

©2012 अनूप सिंह रावत ” गढ़वाली इंडियन “
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी, उत्तराखंड (इंदिरापुरम)

हिंदी शायरी By Anoop Rawat

सुना है इश्क समुंदर की तरह गहरा होता है।
न जाने हम कब उसमें गोते लगायेंगे।

©2012 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat

प्रीत की डोर कुंगली होंद, जरा गेड ढंग से बंध्यां।
ज्वानी का बथों मा नि उड़न, खुटा भुयां ही रख्यां।
संभाली की लगोण प्रीत, वादों मा न तुम तोल्यां।
जांची पूछी लगोण माया, दगिड्यो बाद मा न रुयां।।

©2012 अनूप रावत “गढ़वाली इंडियन”

Wednesday, November 21, 2012

सब मिलालु त्वे हे

सपोडा सपोड़ किले कनु छै,
सब मिलालु त्वे हे जरूर।
जु भी होलु भाग मा तेरा,
एक दिन मिललू त्वे जरूर।।

बगत कभी रुक्युं नि रैंदु,
आदत येकी मनखी जनि च,
सब कुछ च त्वेमा हे मनखी,
बस एक धीरज की कमि च।।

पालु नि रैंदु सदनी चमकुणु,
घाम औण मा गली जान्द।
पाप कु घाडू कतगा भी संभाल,
एक दिन फट्ट फूटी जान्द।।

सुबाटू जा रे तू हे मनखी,
फूलों कु बाटू बण्यों त्वेकू।
सब कुछ मिली जालु त्वेथे,
रकऱयाट हुयुं किले त्वेकू।।

अपरी गलती थै माणी ले,
कैर प्रायश्चित और सुधारी ले,
धर्म से विमुख न ह्वे कभी,
रावत अनूप की बात जाणी ले।।

कविता जारी है ....
मेरी कविता संग्रह
"मेरु मुल्क मेरु पराण" बिटि:-
©2012 अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"

Saturday, November 17, 2012

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat

साँची प्रीत ओंटिड्यों नि, आंख्योंन बिंगे जांद।
लगी जांदी जब कैमा त, दिल मा नि दबे जांद।
सम्भाली भी नि समलेंन्दू, उमाल जवानी कु।
जब बाली उमर मा, रोग माया कु लगी जांद।।

© अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"

Monday, November 12, 2012

गढ़वाली शायरी By Anoop Rawat

झणी किलै माया लगोणा कु ज्युं बोनु चा ।
हे बांद रतन्याली आंखी देखि की तेरी ।।।

अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"

Saturday, November 3, 2012

प्रेम कु फूल खिलिगे

प्रेम कु फूल खिलिगे जिकुड़ी मा,
कैथे जी द्यूं अब खुज्याणु छौं।
को होलु ऐका काबिल दगिड्यो,
वैथे मी अब ता भट्याणु छौ।।

जब बिटि आयी या ज्वानी,
बणों - बणों मी डबकणु छौ।
सुपिन्यों मा ऐ ज्वा बांद,
वींथे यख-वख ढुंढणु छौं।।

काम काज मा ज्यूं नि लगणु,
झणी किलै इनु तरसेणु छौं।
गौला बाडुली, खुट्यों मा पराज,
झणी किलै मी खुदेणु छौं।।

बथों उडणु यु बालु मन मेरु,
जनि तनि ये समझाणु छौं।
भेंट करै द्यावा अब ता हे,
64 कोटि देवतों मनाणु छौं।।

प्रेम कु फूल खिलिगे जिकुड़ी मा,
कैथे जी द्यूं अब खुज्याणु छौं।

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक: 03-11-2012