Tuesday, December 30, 2014

गढ़वाली गीत - कख छै सुवा

कख छै सुवा, कख तू लुकी रे,
मन की पीड़ा त्वेन जाणी ना.
तेरो नाम ए दिल मा लेखी सकी ना ...
आकाश मा खोजे, धरती मा भेंटि सकी ना,
तेरी याद मा आंख्युं बिटी आंसू बरखदा,
निठुर दुन्या न रोकी सकी ना .....
ऐजा सुवा, त्वे बिगैर ज्यू सकदु ना ...

गीत जारी है ........

अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ३०-१२-२०१४ (इंदिरापुरम)

Sunday, November 23, 2014

गढ़वाली शायरी - Anoop S. Rawat

तेरी आंख्युं का सौं, प्यार त्वेसे करुदु छौं.
यूं सांसों का सौं, त्वे पर मी मरुदु छौं.
सच माण या न माण, तू हे मेरी दगिद्या,
साँची माया मी, त्वेसणी करुदु छौं ...

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – २३-११-२०१४ (इंदिरापुरम)

Friday, October 17, 2014

गढ़वाली शायरी – अनूप रावत


*** गढ़वाली शायरी – अनूप रावत ***

संसार भूली ग्युं मी त्वे देखि की.
तुमसणी अपड़ा दिल मा समझिकी.
मी पूजा करदू माया की .....
तुम्हारी इच्छा हे सुवा, साथ दे, न दे,
मी शरण ऐग्युं तुम्हारी माया की ...

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १७-१०-२०१४ (इंदिरापुरम)

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत


*** गढ़वाली शायरी ***

जब बिटिन देखि त्वेथै सुवा,
सुपिन्या त्यारा ही देखणु छौं।
तेरी माया कु रोगी बणिग्युं,
नौ दिन राति तेरु ही जपणु छौं।।

© अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
दिनांक - ०९-१०-२०१४ (इंदिरापुरम)

Friday, September 19, 2014

गढ़वाली शायरी - @$R

सुपिन्यों मा आंदी, निंद चुरै कि ली जांदी.
तेरी मयाली मुखुड़ी देखी, जिकुड़ी धकद्यांदी.
तू छै बांदों मा की बांद, चांदों मा की चाँद,
बांद गढ़वाल की ..... बांद पहाड़ा की .....

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १९-०९-२०१४, (इंदिरापुरम)

Monday, September 15, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत

फ्योली सी मुखुड़ी तेरी दमकणी,
नाका की नथुली भली सजणी..
धवल ह्युं जनि दांतुड़ी चमकणी,
डांड्यू आंछिरी सी स्वाणी लगणी..

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १३-०९-२०१४ (इन्दिरापुरम)

Tuesday, September 2, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत

छोड़ी की ईं दुन्यादारी थैं आज हम,
औ लठ्याली, माया कु घोळ बणोंला,
ईं माया बैरी दुन्या से चल दूर कखि,
स्वर्ग जनु सुंदर एक घर बणोंला।।

© अनूप सिंह रावत, दिनांक – 02-09-14
ग्वीन मल्ला, गढ़वाल (इंदिरापुरम)

Sunday, August 24, 2014

देवभूमि त्वे भट्याणी च

देवभूमि त्वे भट्याणी च,
सूणी ले रे हे दगिड्या,
कब बिटि की धै लगाणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 1।

तिबारी डिंडाळी भट्याणी च,
उरख्याली-गंज्याली भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 2।

बांजी हूंदी पुंगड़ी भट्याणी च,
डांडी - कांठी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 3।

पहाड़ की रीत भट्याणी च,
बारामासी गीत भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 4।

रौली - गदेरी भट्याणी च,
घासा की घसेरी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 5।

पाणी की पन्देरी भट्याणी च,
घुघुती-हिलांश भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 6।

जन्दुरु-घराट भट्याणी च,
उजड़ी कूडी-छानि भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 7।

टेढ़ी-मेढ़ी बाटी भट्याणी च,
ऊँची-नीचि घाटी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 8।

बसग्याल- ह्युंद-रूडी भट्याणी च,
छुणक्याळी दाथुड़ी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 9।

तांबा की गगरी भट्याणी च,
लोखर की भद्याली भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 10।

फूलों की डाली भट्याणी च,
हैरी भैरी सारी भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 11।

भभरांदी आग भट्याणी च,
च्या की केतली भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 12।

फाणु - झोळी भटयाणी च,
कोदा की रोटि भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 13।

धार कु मंदिर भट्याणी च,
देवों थौल - जात्रा भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 14।

थौला-मेला भट्याणी च,
देवभूमि त्वे भट्याणी च,
बौडी आवा, लौटी आवा । 15।

© अनूप सिंह रावत, दिनांक - २४-०८-२०१४
इंदिरापुरम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल, उत्तराखंड

Saturday, August 9, 2014

Rakshabandhan

बाँध कलाई पर आज रक्षासूत्र,
ओ जग से प्यारी बहना मेरी।
देता हूँ वचन तुझको मैं आज,
रक्षा करूंगा मैं ता-उम्र तेरी।।

- अनूप सिंह रावत (०८-०८-२०१४)

Sunday, July 27, 2014

गढ़वाली शायरी - अनूप सिंह रावत


मुल-मुल हैंसी की किलै भरमांदी.
छ्वी लगाणा कु तू बानु खुज्यांदी.
मन की मन मा किलै तू दबांदी.
प्रीत च त हे छोरी किलै नि बिंगांदी.

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
दिनांक – २७-०७-२०१४ (इंदिरापुरम)

Tuesday, July 8, 2014

गढ़वाली शायरी

न लगो तू मिठी-मिठी छ्वीं बता,
तेरी छुयों मा अलिझे नि जों कखि.
बौल्या समझुणु रों जमानु मिथे,
अर मैं त्वैमा माया लगाणु रों कखि..

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०४-०९-२०१३ (इंदिरापुरम)

गढ़वाली शायरी - ASR

कॉलेज का दिनों की छोरी,
आज भी प्रीत त्वैमा ही चा।
फेसबुक ट्विटर कु पासवर्ड,
सची अब भी तेरु ही नौ चा।।

- अनूप सिंह रावत "ASR"

Tuesday, July 1, 2014

मायादार रूपसी मेरी

मायादार रूपसी मेरी कख बिटिन ऐयी होळी।
रंगरूप कु स्यू खजानु कख बिटिन पै होळी।।
त्वे बणोंन बिधाता न क्वी कसर नी छोडि होळी।
मायादार रूपसी मेरी कख बिटिन ऐयी होळी।।

Song Continues...
© अनूप सिंह रावत 06-06-2014
ग्वीन मल्ला, गढ़वाल (उत्तराखंड)

Friday, May 23, 2014

हिंदी शायरी

शुक्रिया करूं उस खुदा का,
ऐ सनम जिसने तुझे बनाया।
या करूं मैं उस पल का,
जिसने मुझे तुझसे मिलवाया।।

©15-05-14 अनूप रावत
इंदिरापुरम (ग्वीन मल्ला)

गढ़वाली शायरी

झणी क्या जादू करि तुमुन,
झणी कन्नु रोग लगी ग्यायी.
जून सी जुन्याली मुखुड़ी तुम्हारी,
हे सुवा मेरा मन मा बसी ग्यायी.

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १३-०५-२०१४ (इंदिरापुरम)

रावत बोल वचन, भाग-2

।। रावत बोल वचन, भाग-2 ।।

डिग्री है डिप्लोमा है, सिर्फ नहीं है काम।
जीवन यापन कैसे करे, हर दिन बढ़े है दाम।1।

शायद मुझे भी लग गया, अनूठा प्रेम का रोग।
खोए खोए से रहते हो, कहते हैं अब सब लोग।2।

आया वक्त चुनाव का, नेताओं का लगा जमघट।
हाथ जोड़े गले लगे अभी, बाद कहेंगे चल हट।3।

घर-घर दीपक ज्ञान का, चलो जलाएं आज।
जन-जन को शिक्षित करें, खुशहाल होगा समाज।4।

जाति धर्म अब बहुत हुआ, आओ बढ़ाएं भाईचारा।
मिल-जुलकर प्रगति करें, जग विख्यात हो देश हमारा।5।

© अनूप सिंह रावत - 24-04-2014
ग्वीन मल्ला, बीरोंखाल, पौड़ी, उत्तराखंड
इंदिरापुरम (गाजियाबाद)

Friday, March 14, 2014

गढ़वाली शायरी - ASR

रात्यूं की निंद उडिगे, ख्वेगे दिन कु चैन.
झौल माया की या कनि लगाई छोरी त्वैन.
मेरा बस मा नि राई यु बालु मन अब मेरु,
सची यु ज्यू जान तेरा नौ करियाली मैन...

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०८-०३-२०१४ (इंदिरापुरम)

ढोल दमौ

ढोल दमौ मेरु पहाड़ा कु साज।
रांसु मंडाण लगि जब भी बाज।।

- अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"

गढ़वाली शायरी - ASR

तेरी रतन्याली आंख्युं मा, माया लैगे.
हे सुवा चितमन मेरु, अब तेरु ह्वेगे.
मनमोहण्या तेरु मिजाज, स्वाणी बोळी.
बिधाता न मेरा बाना त्वे बणाई होळी.

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – १६-०२-२०१४ (इंदिरापुरम)

Tuesday, February 11, 2014

गढ़वाली कविता - बाटू

“ बाटू ”

बाटू,
टेढू-मेढू बाटू,
कखी उकाल, कखी उंदार,
कखी सैणु, कखी धार-धार।

बाटू,
कु होलू जाणु,
क्वी जाणु च अबाटू,
त क्वी लग्युं च सुबाटू।

बाटू,
जाणु चा बटोई,
क्वी हिटणु यखुली,
त क्वी दगिड्यों दगिडी।

बाटू,
पैंट्यां छन देखा,
क्वी च मैत आणु,
त क्वी परदेश च जाणु।

बाटू,
वै जै ‘अनूप’ ब्वनु,
जख बल मनख्यात हो,
सुकर्म मा दिन रात हो।

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ०२-०२-२०१४ (इंदिरापुरम)

बिज़ी रयुं सैरी रात

:: गढ़वाली गीत ::

बिज़ी रयुं सैरी रात, सुवा तेरो ख्याल मा.
सोची छौ नि लगौणी, फंसिग्युं मायाजाल मा..

- गीत जारी है .....

© अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन”
दिनांक – ३१-०१-२०१४ (इंदिरापुरम)

हिंदी शायरी - Garhwali Indian

कभी-2 हम भी कलम चला लेते हैं।
बस दिल की भावनाओं को,
कागज पर उकेर लेते हैं।।

- अनूप सिंह रावत (28-01-14)