Friday, March 19, 2021

गढ़वाली गज़ल - अनूप सिंह रावत

भैर बटिन हैंसणा मन मा मैल भौत च
अपणों का दियां घौ दिल घैल भौत च

हमरू हैंसदु-खेलदु घार उजाड़ी गेनी
अर वों का घार मा चैल-पैल भौत च

हमुन त छक्वे प्रेम को कळ्यो बांटी
गौं गळ्या मा विरोध्यों छैल भौत च

तुम खावा अर सदनी खयां छक्वे कि
हम खुणि त प्रेम कु एक ठैळ भौत च

क्रीम पौडर लगै तुम चमकणा रावा
'अनूप' को त निरोगी सरैल भौत च

©® अनूप सिंह रावत
दिनांक: 19-03-2021