Wednesday, January 17, 2018

देखि ब्याळी मिन


देखि
ब्याळि मिन
एक स्वाणी बाँद
देखदि रैग्युं वीं मी
जून सी उज्याळु रूप रंग
उन त पैळि भी देखि बांद
पर वींकि बात ही कुछ होरि छै
वा जनि स्वर्ग सी अप्सरा आई धरती मा
सोचि नि छौ कभि माया का बाटों अळिझे जौंळु
पर आखिर ज्वनि क उमाळ मा मी घसड़क रैड़ि ग्युं।

© 17-01-2018 (बुधवार)
अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"

Thursday, January 4, 2018

महाभारत - कलजुग मा

महाभारत,
कलजुग मा भी
सतत जारी च।
शकुनि मामा,
नेतों कु अब
भेष धारी च।।

द्वापर मा लड़ै
पांडव - कौरव।
अब ये जुग मा,
जाति अर धर्म
का नौ पर यु,
मनिख्यों लड़ाना।
अर सत्ता थैं अफि
लग्यां हत्याणा।।

द्रौपदी का जनि,
अब भारत माँ
लगीं च दाँव पर।
अर हम पार्ट्यों
का पिछिन्यां,
नि छौ चिताणा।
अर यु चटेळी कि
मौज छन उड़ाणा।।

© अनूप सिंह रावत
ग्वीन, बीरोंखाल, गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
दिनांक: 04-01-2018 (बृहस्पतिवार)