ऊँचा निचा डांड्यू जाणी होली घस्यारी होली माँ बेटी काकी बोडी दीदी भुली ब्वारी घासा का बाना जांदी मेरा पहाडा की नारी. मुंड मा परांदा बध्युं होलू कमर मा ज्युडी हाथ मा होली सजणी छुनक्याली दाथुड़ी पलान्या मा बैठी की दाथुड़ी थै पल्याली स्वामी की खुद मा कभी बाजूबंद लगाली क्वी भरणी होली गड़ोली क्वी बंधिणी पूली क्वी होली गैल्यों गैल ता क्वी होली यखूली तीसालू होलु सरैल अर भूख लगणी होली अपरी खैर भूली, स्वामी की सोचणी होली दूर डांड्यू बीटी मैत देखि की याद च आणी मैता की भी होली भारी वीं थै खुद सताणी जुगराज रैयी तू सदानी हे पहाडा की घस्यारी रावत अनूप करदू नमन त्वेकू हे पहाडा नारी सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२८-०३-२०१२ बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
ऐ मेरे भारत देश महान कुछ तो ले अब जरा संज्ञान १०० में से ९९ नेता बेमान रोज ले रहे जनता की जान देख बढती ही जा रही महंगाई जायजा ले ले जरा अब तो क्या न देखने की कसम है खाई देख जरा कैसी बीमारी है आई कैसे कट रही है ये जिंदगी देख जरा गरीबों की लाचारी और मजे से जी रहे हैं यहां देख जनता के लुटेरे भ्रष्टाचारी प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है मुश्किल से जिंदगी कट रही है नेताओं के चक्कर में यहां अब इस देश की जनता बंट रही है देख कैसी-२ बीमारी फ़ैल रही है जनता मर-२ कर सब झेल रही है जिनके हाथ में सौप दिया उपाय देख तो वो इनसे कैसे खेल रही है घर से बाहर निकलते ही यहां अब तो रोज रिश्वत लगती है भ्रष्टाचारियों से लुटे बगैर अब जिंदगी यहां सबकी तो कटती है बचपन सड़कों पर कट रहा है जवानी बेरोजगारी में जी रहा है बुढ़ापा दर-दर ठोकर खा रहा है ए भारत माँ देख क्या हो रहा है कहीं इतिहास न बन कर रह जाये जाग जा खतरे में है तेरी महिमा इस देश में नेता अब देख तो जरा कैसे कुचल रहें रोज तेरी गरिमा बढ़ रहे हैं रोज अब तो अत्याचार सुन ले अब तो जनता की सीत्कार खोल आँखें और कान जरा अब तो सुन ले रावत अनूप की ये पुकार ऐ मेरे भारत देश महान कुछ तो ले अब जरा संज्ञान सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१९-०३-२०१२ बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
आपके जन्मदिन की शुभ वेला, लगा बहारों का है मेला। आपकी खुशियों से खुश होकर, मौसम भी लगता अलबेला॥ मौसम भी कैसा हो गया सुहाना, क्योंकि आपका जन्मदिन था आना। झूम झूम कर सारी दुनिया गाये, जन्मदिन मुबारक आपको ये गाना। देखो झूम रहा है सारा आसमान, सदा खुश रहे आपका ये जहान। खुश रहो सदा दुआ है हमारी, पूरे हो आपके हमेशा सारे अरमान। यूं ही जन्मदिन आपका आता रहे, हर वर्ष आपको यूँ ही हर्षाता रहे। जीवन हो मस्ती से पूरित आपकी गीत खुशी के यूं ही गाता रहे॥ सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१९-०३-२०१२ बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब.. हर पल आम आदमी को यह तो सता रही है तेज गति से रोज मंहगाई देखो दौड़ रही है हर किसी के दामन से खुशियाँ छीन रही है खून आम आदमी का अब ये निचोड़ रही है आमदनी है अठन्नी, तो घर खर्चा है रुपय्या घरवाली बोले और चाहिए रुपये ओरे सैय्यां कैसे पार लगाऊ मैं अब अपने घर की नैय्या कैसे कटे जिंदगी अब आप ही बताओ भैय्या पहले प्याज काटो तो तब ही आंसू आते थे अब तो प्याज का भाव सुनकर आ जाते हैं एक टमाटर को अब चार सब्जी में खाते हैं मंहगाई घटना तो गुजरे ज़माने की बातें हैं वादे करके सारे नेता हो गये देखो कैसे गोल अब तो हर रोज बढे है गैस, डीजल, पेट्रोल मंहगाई का रस जिंदगी में ऐसे न अब घोल कैसे होगा सब ठीक अब हे प्रभु कुछ बोल पढ़ना लिखना भी हो गया है अब तो महंगा स्कूली ड्रेस, बस्ता, पेन सब हो गया महंगा तन ढकना भी मुश्किल हो गया है अब तो कमीज पैंट धोती कुरता चुनरी और लहंगा नमक महंगा तो शक्कर हो गयी नमकीन कम होगी मंहगाई सरकार बस बजाये बीन मुश्किल से हो पाए दो वक्त की रोटी का गुजारा सब हो गये हैं कैसे इस बीमारी से दीन-हीन न जाने किस जन्म की गलती की है सजा दिन रात पड़े है अब तो यह महंगाई की मार नमक छिड़कने ऊपर से आ जाये भ्रष्टाचार सजा मिले किसी को तो कोई और कसूरवार हे प्रभु रावत अनूप करे बस इतनी सी विनती इस मंहगाई डायन से हमको लो अब बचालो हमारे जीवन की गाड़ी अब पटरी पर लगालो कलयुग में कोई चमत्कार अब तो करवालो बढती ही जा रही है मंहगाई देखो भाई साहब रुपया हो गया अठन्नी और अठन्नी गायब.. सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१६-०३-२०१२ बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
माया जब कैमा लगी जांदी सरया-२ राती निंद नि आंदी ओंटिडी चुप रैंदी माया मा आँखी सब कुछ बिंगे जांदी
©2012 अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन"
देखा मैंने उन्हें कुछ यूं... सड़क किनारे कुछ ढूंढते हुए कचरे के ढेर में कुछ तलाशते हुए जल्दी थी हमें वहां से जाने की और हम नाक बंद कर रहे थे पर प्रसन्न से वो दिख रहे थे वो अपनी रोजी रोटी ढूढ़ रहे थे फ़ेंक दिया जिसे हम लोगों ने उसे वो ध्यान से टटोल रहे थे मिलता जैसे ही कुछ कूड़े में वो लोग बहुत खुश हो रहे थे कुछ बच्चे कुछ बूढ़े कुछ जवान कूड़े के ढेर पर था सबका ध्यान थैला था एक बड़ा सा यूँ हाथ में एक डंडा भी था उनके हाथ में कपडे थे उन लोगों के बड़े मैले भर रहे थे वो कूड़े से अपने थैले थैले होते जा रहे थे उनके भारी हे प्रभु कैसी है ये गरीबी लाचारी दिन भर कूड़े के ढेर पर बैठे हैं रात को सड़क किनारे झोपडी में न जाने कैसे वो जमीन पर सोते हैं कभी हँसते, कभी किस्मत पर रोते हैं हे प्रभु यह कैसा संसार रचा दिया कोई राजा तो कोई रंक बना दिया हे प्रभु बस इतना सब को देदो कट जाये जिंदगी आराम से देदो न कोई छोटा न कोई बड़ा हो यहां भेदभाव का नामों निशां न रहे यहां रच दो ऐसी लीला अब तो हे प्रभु एक सा हो जाये ये सारा अब जहां सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक -१०-०३-२०१२ बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
आजकल जमानु च चबोड़ कु दूसरा से भलु दिखेणा कु होड़ कु मेरा मुल्क मा भी फैली गे यु रोग भारी चबोडया हूणा छन अब लोग झणी कख बिटी आई यख भी ऐगे टांग अपरा यख भी पसरण लैगे नौना नौनी भारी चबोडया ह्व़े गैनी अपड़ी रीत रिवाज सब भूली गैनी नौनु कमाई की अठन्नी मेरु ल्यांद अर ब्वारी बिचारी रुपया मेरी उडांद पैली गरीबी मा पैनी लारा फट्या और अब यु बल चबोड़ ह्वेगे रे ब्यटा आंग अंगीडी फुर्क्याली घाघरी ख्वेगे कुर्ता फते मुंड मा कि टोपली ख्वेगे छोरा च की छोरी नि पछ्नेणु चा नौ छन यनु कि कते नि बिंगेणु चा चबोड़ पर खूब बनणा छन अब गीत अर कखी खोणी च मेरा मुल्क कि रीत चला दगिद्यो ये चबोड़ थे दूर भगौंला अपरी संस्कृति हम मिली कि बचौंला सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०९-०३-२०१२ बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
बसंत आया तो आई बहार फाल्गुन लाया खुशियाँ हजार होली आई रंगों का त्योहार खुशियों से भरे घर संसार गुजिया तलकर फिर बनेगी दादी मम्मी फिर पूड़ी बेलेगी बनेंगे नमकपारे व शक्करपारे व्यंजन होंगे खाने को ढेर सारे खेतों में फिर से हरियाली आई ख़ुशी से नाचे सब किसान भाई फूलों की फिर खूब खेलें होली खुशियों से रंग गयी सूरत भोली अबीर गुलाल रंग खूब लायें हैं एक दूजे को रंगने सभी आये हैं गीत होली के मिलकर गाये हैं सबको यह दिन खूब भाये हैं हाथों में है रंग से भरी पिचकारी खुशियाँ आई हैं देखो ढेर सारी चलो एक दूजे को रंग लगालो खुशियों का पल है संग मनालो न खेलो जुआ, ना पिओ शराब यह सब खुशियाँ कर दें ख़राब आओ हंसी ख़ुशी होली मनाएं होली मुबारक सब मिलकर गाएं सब लोगो को रावत अनूप की होली की सपरिवार शुभकामनाएं चलो आओ मित्रो इस पर्व को आज हम सब मिलकर मनाएं बसंत आया तो आई बहार फाल्गुन लाया खुशियाँ हजार होली आई रंगों का त्योहार खुशियों से भरे घर संसार सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०५-०३-२०१२ बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)