बिधाता कु त्वे स्वाणु रूप दियुं, हर क्वी त्वे पौणा कु वर मांगलु।। तू हे रात मा भैर नि ऐयी सुवा, त्वे देखि की चाँद भी शरमै जालु।। © अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक - ३० -०५-२०१३ (इंदिरापुरम)
धन तेरु रूप धन माया तेरी। मैं दिखेणी च बस अन्वार तेरी। यु कन्नु रोग लगि ज्वानी मा, कि सेणी खाणी हर्चिगे मेरी।। ©अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक - २४-०५-२०१३ (इंदिरापुरम)
क्यांकु सुपिन्यों मा ऐकि सताणी छै. समणी ऐकि तू हैंसी की भरमाणी छै. औंदा जांदा किलै तू मैं भट्याणी छै. सुधि मुधि बानु बणे की बच्याणी छै. तेरा दिल मा प्रीत की जोत जगी च, दिल की बात तू किलै नि बिंगाणी छै. ©अनूप सिंह रावत "गढ़वाली इंडियन" दिनांक - ०२-०५-२०१३ (इंदिरापुरम)