रात्यूं की निंद उडिगे, ख्वेगे दिन कु चैन. झौल माया की या कनि लगाई छोरी त्वैन. मेरा बस मा नि राई यु बालु मन अब मेरु, सची यु ज्यू जान तेरा नौ करियाली मैन... © अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन” दिनांक – ०८-०३-२०१४ (इंदिरापुरम)
ढोल दमौ मेरु पहाड़ा कु साज। रांसु मंडाण लगि जब भी बाज।। - अनूप रावत "गढ़वाली इंडियन"
तेरी रतन्याली आंख्युं मा, माया लैगे. हे सुवा चितमन मेरु, अब तेरु ह्वेगे. मनमोहण्या तेरु मिजाज, स्वाणी बोळी. बिधाता न मेरा बाना त्वे बणाई होळी. © अनूप सिंह रावत “गढ़वाली इंडियन” दिनांक – १६-०२-२०१४ (इंदिरापुरम)